Patna High Court Order: बुधवार 06 दिसंबर को पटना हाइकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आलोक में अपना फैसला देते हुए यह स्पष्ट किया कि राज्य मे प्राथमिक कक्षाओं में बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होगी। आगे कोर्ट ने कहा कि प्राथमिक कक्षाओं में डीएलएड डिग्रीधारी शिक्षकों की ही नियुक्ति की जायेगी।
पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायाधीश राजीव राय की खंडपीठ ने ललन कुमार व अन्य द्वारा बड़ी संख्या मे दायर की गयी रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।
अधिसूचना को सुप्रीम ने किया था रद्द
आपको बता दें कि पटना हाइकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई पूरी कर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। जिस पर बुधवार को फैसला सुनाया गया। हाइकोर्ट के इस आदेश से बिहार के लगभग 22 हजार शिक्षकों की नौकरियां प्रभावित हो सकती है। जिनकी नियुक्ति इस मामले की सुनवाई के दौरान हुई है।
कोर्ट मे 28 जून 2018 को एनसीटीइ द्वारा जारी अधिसूचना को चुनौती दी गयी। जिसमे प्राथमिक कक्षाओं मे बीएड डिग्रीधारी शिक्षको को भी प्राथमिक स्कूलों मे शिक्षको के लिए योग्य माना गया था। इसी अधिसूचना को देवेश शर्मा बनाम केंद्र सरकार व अन्य के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दी गयी और सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिसूचना को रद्द कर दिया था।
Patna High Court Order: NCET के अधिसूचना को किया था रद्द
कोर्ट को बताया गया कि NCTE द्वारा 28 जून 2018 को जो अधिसूचना जारी की गयी थी उसमे बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों को भी प्राथमिक कक्षाओं मे नियुक्ति के लिए योग्य कहा गया था। उसमें कहा था कि प्राथमिक स्कूलों मे अगर बीएड का कोर्स किया कोई उम्मीदवार शिक्षक के पद पर नियुक्त होना चाहता है, तो उसे प्राथमिक शिक्षा मे दो वर्ष के भीतर छह माह का एक ब्रज कोर्स करना जरुरी है।
लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने सर्वेश शर्मा बनाम केद्र सरकार व अन्य के मामले मे NCET के उस अधिसूचना को रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि प्राथमिक कक्षाओं मे पढ़ाने के लिए डीएलएड डिग्रीधारी शिक्षकों को ही नियुक्त किया जायेगा।
योग्य अभ्यर्थियो को रिक्त सीटों पर बहाल करने का दिया आदेश
कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि एनसीटीइ की साल 2010 गजट के अनुसार नौकरी कर रहे उम्मीदवार योग्य होगे। लेकिन 11 अगस्त 2023 को सुप्रम कोर्ट ने एनसीटीइ के 2018 के गजट को रद कर दिया था, तो उसके अनुसार नियुक्त उम्मीदवार अयोग्य होंगे। कोर्ट के फैसले में यह भी है कि सरकार खाली सीटों पर स्टेट मेरिट लिस्ट पर प्राथमिक कक्षाओं मे योग्य अभ्यार्थियों (डीएलएड डिग्रीधारी) को नियुक्त करे।
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