K K Pathak: बिहार में इन दिनों के के पाठक छाए हुए हैं इसका सबसे बड़ा कारण है शिक्षा सुधार में उनका योगदान। बिहार के शिक्षा सुधार बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्यसचिव के के पाठक ने एक तूफ़ान सा खड़ा कर दिया है।
आपको बता दें कि जहां बिहार के स्कूलों में बच्चों की कभी उपस्थिति के बारे में सवाल खड़े किए जाते थे। आजबिहार के उन्ही स्कूलों में बच्चों की हाजिरी से एक नया रिकॉर्ड कायम हो गया है।
स्कूलों में बच्चों की उपस्तिथि बढ़ी!
एसीएस के के पाठक के बिहार शिक्षा विभाग में अहम रोल ने शिक्षा को एक नई दिशा दी है। जहां बिहार के स्कूलों में बच्चों के नही आने के रिपोर्ट मिलते थे। आज उन्ही स्कूलों में बच्चों की उपस्तिथि बढ़ गई है।
मॉनिटरिंग सील रिपोर्ट्स के मुताबिक बिहार के लगभग 3500 हजार स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति अब 70 फ़ीसदी से ज्यादा हो गई है। ऐसा कई सालों में पहली बार हुआ है जब स्कूली बच्चों की उपस्तिथि दो गुनी हो गई है।
K K Pathak: इस तरह बढ़ी उपस्तिथि
बिहार के स्कूलों में बच्चों को लेकर रणनीति बनाई गई। और स्कूल नहीं आने वाले बच्चों को नाम काटे जाने लगे। कोई भी बच्चा 3 दिन से ज्यादा अनुपस्थित रहने पर उनके गार्जियन को यह संदेश दिया जाता था। कि अगर आप के बच्चे 15 दिन तक स्कूल नहीं आते हैं तो उनके नाम स्कूल से काट दिए जाएंगे।
बच्चों के नाम काटने पर स्कूलों में उपस्तिथि बढ़ी और स्कूलों में शिक्षक और विद्यार्थी का संगम देखने को मिलने लगा। केके पाठक के टावर तोड़ फैसले में बिहार शिक्षा विभाग के नक्शे को बदलकर रख दिया।
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