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Banka Bihar: बिहार में दो दोस्त ने कर दिया बड़ा कारनामा! सरकार के सहायता के बिना आसानी से बना लिया पेट्रोल!

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Banka Bihar: बिहार में दो दोस्त ने कर दिया बड़ा कारनामा! सरकार के सहायता के बिना आसानी से बना लिया पेट्रोल!

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Banka Bihar: बांका जिले में दो दोस्तों ने बड़ा कारनामा कर दिखाया जब उन्होंने कचरे से पेट्रोल बना दिया। यह कारनामा बिहार के बांका जिला का है। आपको बता दें कि रजौन प्रखंड क्षेत्र के नवादा बाजार के रहने वाले दो युवकों ने प्लास्टिक के कचरे से नई तकनीक का खोज कर ली है।

इस नई तकनीक की मदद से ये दोनों युवक प्लास्टिक के कचरे से सिर्फ पेट्रोल ही नहीं बल्कि डीजल, मिट्टी तेल के साथ-साथ रसोई गैस तैयार कर रहे हैं और इसका वे खुद उपयोग भी कर रहे हैं।

कैसे बनाते हैं पेट्रोल और डीज़ल

एक मीडिया चैनल से बात करते हुए दोनों दोस्तों ने बताया कि प्लास्टिक का उपयोग से पेट्रोल और डीजल तैयार किया जाता है जिसका यह खुद से उपयोग भी कर रहे हैं। उन्होंने बताया की 4 किलो प्लास्टिक को 400 डिग्री तापमान पर गर्म करने से करीब 2 लीटर डीजल और 800 डिग्री तापमान पर गर्म करने पर डेढ़ लीटर पेट्रोल बना लेते हैं।

बताया जा रहा है कि नवादा बाजार के निवासी महेश प्रसाद सिंह के पुत्र वरुण कुमार सिंह जिसकी उम्र 27 वर्ष और राजेन्द्र चौधरी के पुत्र मुनिलाल की उम्र 24 वर्ष है दोनों दोस्त कोरोना काल से पहले गुजरात के राजकोट में किसी लोहा फैक्ट्री में मजदूरी करते थे। कोरोना काल में काम बंद होने के बाद वे घर आ गए थे।

Banka Bihar: कचरे के माध्यम से किया कारनामा

युवकों ने बताया कि “उन्हें इस तकनीक को विकास करने के लिए आस पास के गली-मोहल्ले और गांवों में घूम-घूमकर प्लास्टिक के कचरे को इकट्ठा करने लगे। इस दौरान समाज के लोगों से काफी कुछ सुनने को मिला।

लेकिन महेश और राजेंद्र ने लोगों के ताने को सुनते हुए हर बात की अनदेखी करते हुए अपना प्रयास जारी रखा। अपने कारनामे को सफल बना लिया। जब यह कारनाम सफल हुआ तो अब वही जो उनपर तंज कस्ते थे वही वाहवाही करते हैं।

सरकार और जनप्रतिनिधियों से मदद की लगाई गुहार

युवकों ने बताया कि इस तकनीक को विकसित करने में उन्हें करीब 25 से 30 हजार रुपए की लागत लगी है, जिससे वे गैस चूल्हा, गैस सिलिंडर, गैस वेल्डिंग, ऑक्सीजन सिलिंडर, पाइप आदि खरीदे हैं। उनकी परिवारिक और आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने की वजह से उन्हें इस तकनीक को विस्तृत रूप देने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

दोनों ने सरकार और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई है कि उन्हें कुछ आर्थिक सहायता मिल जाती तो इस नई तकनीक से कचरा प्रबंधन होने के साथ-साथ देश में पेट्रोल और डीजल जैसे प्राकृतिक संसाधनों को तैयार करने में बहुत मदद मिलती। इन दोनों दोस्तों ने अपने प्रयास से एक बड़े कारनामा को अंजाम दिया है। जो काफी सराहनीय है।

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